अथ गरुड़ गोविन्द स्तोत्र एकदा सुखमासीनम गर्गाचार्य मुनीश्वरम | बहुलाश्वः परिपपच्छः सर्व शास्त्र विशारदम ||१|| श्रीमद गरुड़ गोविन्द स्तोत्रं कथयामे प्रभो |एतब्दी ज्ञान मात्रेण भुक्ति मुक्ति प्रजायते ||२|| गर्गोवाच- श्रणु राजन प्रवक्ष्यामि गुह्यादी गुह्यतरं परम |एतब्दी ज्ञान मात्रेण सर्व सिद्धि प्रजायते ||३|| गोविन्दो गरुदोपेतो गोपालो गोप बल्लभ |गरुड़गामी गजोद्धारी गरुड़वाहन ते नमः ||४|| गोविन्दः गरुडारूद गरुड़ प्रियते नमः |गरुड़ त्रान कारिस्ते गरुड़ स्थितः ते नमः ||५|| गरुड़ आर्त हरः स्वामी ब्रजबाला प्रपूजकः |विहंगम सखा श्रीमान गोविन्दो जन रक्षकः ||६|| गरुड़ स्कंध समारुड भक्तवत्सल! ते नमः |लक्ष्मी गरुड़ सम्पन्नः श्यामसुन्दर ते नमः ||७|| द्वादशभुजधारी च द्वादश अरण्य नृत्य कृत |रामावतार त्रेतायां द्वापरे कृष्ण रूप ध्रक ||८|| शंख चक्र गदा धारी पद्म धारी जगत्पति |क्षीराब्धि तनया स्नेह पूर्णपात्र रस व्रती ||९|| पक्शिनाम लाल्पमानाय स व्यपाण...
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