Skip to main content

गरुड़ गोविन्द जी की स्थापना

Lord Garuda Govind Ji and Lakshmi Ji were established about 5000 years ago by the great-grandson of Lord Shri Krishna and son of Anirudhji, Mathuradh Raja Vajranabh Ji, in the context of Acharya Gargamuni.

Comments

  1. Aftershokz trekz titanium | TheTian | titaniumarts.com
    TANDAI, India. Aftershokz trekz titanium is the world's first titanium titanium muzzle brake stone titanium comb stone titanium vs ceramic flat iron and stone stone titanium price per pound craft for carving, forging, and titanium earrings hoops fine artworks.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

गरुड़ गोविन्द स्तोत्र

                                          अथ गरुड़ गोविन्द स्तोत्र एकदा सुखमासीनम गर्गाचार्य मुनीश्वरम | बहुलाश्वः परिपपच्छः सर्व शास्त्र विशारदम ||१|| श्रीमद गरुड़ गोविन्द स्तोत्रं कथयामे प्रभो |एतब्दी ज्ञान मात्रेण भुक्ति मुक्ति प्रजायते ||२|| गर्गोवाच- श्रणु राजन प्रवक्ष्यामि गुह्यादी गुह्यतरं परम |एतब्दी ज्ञान मात्रेण सर्व सिद्धि प्रजायते ||३|| गोविन्दो गरुदोपेतो गोपालो गोप बल्लभ |गरुड़गामी गजोद्धारी गरुड़वाहन ते नमः ||४|| गोविन्दः गरुडारूद गरुड़ प्रियते नमः |गरुड़ त्रान कारिस्ते गरुड़ स्थितः ते नमः ||५|| गरुड़ आर्त हरः स्वामी ब्रजबाला प्रपूजकः |विहंगम सखा श्रीमान गोविन्दो जन रक्षकः ||६|| गरुड़ स्कंध समारुड भक्तवत्सल! ते नमः |लक्ष्मी गरुड़ सम्पन्नः श्यामसुन्दर ते नमः ||७|| द्वादशभुजधारी च द्वादश अरण्य नृत्य कृत |रामावतार त्रेतायां द्वापरे कृष्ण रूप ध्रक ||८|| शंख चक्र गदा धारी पद्म धारी जगत्पति |क्षीराब्धि तनया स्नेह पूर्णपात्र रस व्रती ||९|| पक्शिनाम लाल्पमानाय स व्यपाणीतले नहि |पुनः सुस्मित वक्राय नित्यमेव नमो नमः ||१०|| ब्रजांगना रासरतो ब्रजबाला जन प्रियः |गोविन्दो गरुडानंदो

कालसर्प योग

काल सर्प दोष कुंडली में सात गृह सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि जब राहू और केतु के बीच स्थित होते है तो कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होता है! मान लो यदि कुंडली के पहले घर में राहू स्थित है और सातवे घर में केतु तो बाकी के सभी गृह पहले से सातवे अथवा सातवे से पहले घर के बिच होने चाहिए! यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात यह है की सभी ग्रहों की डिग्री राहू और केतु की डिग्री के बीच स्थित होनी चाहिए, यदि कोई गृह की डिग्री राहू और केतु की डिग्री से बाहर आती है तो पूर्ण कालसर्प योग स्थापित नहीं होगा, इस स्थिति को आंशिक कालसर्प कहेंगे ! कुंडली में बनने वाला कालसर्प कितना दोष पूर्ण है यह राहू और केतु की अशुभता पर निर्भर करेगा ! सामान्यता कालसर्प योग जातक के जीवन में संघर्ष ले कर आता है ! इस योग के कुंडली में स्थित होने से जातक जीवन भर अनेक प्रकार की कठिनाइयों से जूझता रहता है ! और उसे सफलता उसके अंतिम जीवन में प्राप्त हो पाती है, जातक को जीवन भर घर, बहार, काम काज, स्वास्थ्य, परिवार, विवाह, कामयाबी, नोकरी, व्यवसाय आदि की परेशानियों से सामना करना पड़ता है ! बैठे बिठाये बिना किसी मत

भगवान गरुण गोविंद जी का स्वरुप

Garuda Govind Temple has Lord Govind Ji i.e. Lord Narayana seated on the back of Garuda Ji. There is a wonderful image of Satyabhama and Rukmini Ji at the feet of Thakur Ji. (Both were the wives of Lord Shri Krishna). It is also situated in the form. There was an ancient saying about this temple - Eight Hath Ko Mandir, Twelve Hath Ko Thakur. Due to the influence of Garuda Ji, this temple is world-famous for the prevention and rituals of snake defect and Kalasarpa Yog. Lakshmi Ji is seated in the left limb of Thakurji.